डिजिटल अरेस्ट क्या है, साइबर फ्रॉड कैसे करते हैं Digital Arrest

By Team Creator Click

डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार का ऑनलाइन स्कैम है, जहाँ साइबर फ्रॉड फोन करके अथवा वीडियो कॉल करके स्वयं को पुलिस अथवा अन्य अधिकारी बताते हुए भोले भाले लोगों को धमकाते हैं। इसके बाद वह आपसे अच्छे खासे पैसे ऐठ लेते हैं। आज के डिजिटल युग में, इंटरनेट और मोबाइल टेक्नोलॉजी के बढ़ते उपयोग के साथ ही साइबर अपराध भी तेजी से बढ़ रहे हैं। जिस कारण “डिजिटल अरेस्ट” या “डिजिटल अरेस्ट स्कैम” घोटाला हाल के दिनों में बहुत चर्चित हो गया है। आइये इसे विस्तार से समझते हैं…

डिजिटल अरेस्ट घोटाला क्या है?

डिजिटल अरेस्ट स्कैम एक ऑनलाइन घोटाला है, जिसमें 2024 के अक्टूबर के अंत तक लगभग 92 ,334 लोग इस स्कैम के शिकार हुए हैं। जहाँ कुल मिला कर लोगों से 2140 करोड़ रुपये लूट लिए गए

Digital Arrest Scam
Digital Arrest Scam

ऐसे धोखेबाज पीड़ितों को कॉल कर कहते हैं कि उन्होंने कोई पार्सल भेजा या प्राप्त किया है, जिसमें अवैध सामान ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित वस्तु है। कई बार यह भी दावा करते हैं कि पीड़ित का कोई करीबी किसी अपराध या दुर्घटना में शामिल पाया गया है, और अंत में केस समाप्त करने या समझौता करने के लिए पैसे की मांग करते हैं। फोन करने वाले स्कैमर आपको इमोशनली और मेंटली टॉर्चर करते हैं। इसके बाद वे आपसे तुरंत पैसे की मांग करते हैं और आपसे जल्दी से जल्दी पेमेंट करवाने का प्रयास करते हैं। 

डिजिटल अरेस्ट स्कैम कैसे काम करता है?

डिजिटल अरेस्ट स्कैम में फोन करने वाला अपराधी खुद को किसी विभाग का अधिकारी बताता है, जैसे सीबीआई, आयकर विभाग, नारकोटिक्स, आरबीआई, कस्टम अधिकारी अथवा पुलिस अधिकारी। आमतौर पर वे सबसे पहले आपको फोन करते हैं और आपको बताते हैं की आपने कोई अवैध काम किया है।

फिर वे व्हाट्सएप या अन्य विडियो कालिंग ऐप के जरिये आपसे वीडियो कॉल करने को कहते हैं या स्कैमर ही आपको डायरेक्ट विडियो कॉल कर देता है। वीडियो कॉल के दौरान, अपराधी पीड़ित को ऑनलाइन गिरफ्तार करने की बात करता है। जहाँ वे डिजिटल गिरफ्तारी वारंट (डिजिटल अरेस्ट वारंट) धमकी भी देते हैं और सीधे -साधे लोगों पर झूठे आरोप लगाते हैं, की आपने कोई ऑनलाइन फ्रॉड किया है, या ऑनलाइन किसी आतंकवादी को पैसा दिया है अथवा टैक्स चोरी में आपका नाम आया है या फिर आपने कोई बहुत बड़ा जुर्म किया है। 

कई बार ये अपराधी मासूम भोले-भाले लोगों को भरोसा दिलाने के लिए नकली पुलिस स्टेशन जैसा सेटअप भी तैयार कर लेते हैं ताकि पीड़ित को लगे कि यह सब असली है। इसके बाद, ये अपराधी आपसे कहेंगे की वो आपके नाम के अरेस्ट वारंट को हटा देंगे, लेकिन उसके लिए वे “रिफंडेबल सिक्योरिटी डिपॉज़िट” के नाम पर आपसे ढेर सारे रुपये को किसी UPI आईडी में ट्रान्सफर करने के लिए कहते हैं। अथवा वे आपकी जाँच में सहयता करने के लिए आपसे आपके UPI और बैंक डिटेल्स की मांग करते हैं।

जैसे ही आप उनको अपने बैंक डिटेल्स जैसे की – क्रेडिट या डेबिट कार्ड डिटेल्स, UPI डिटेल्स, नेट बैंकिंग डिटेल्स, पासवर्ड अथवा पिन इत्यादि देते हैं। वो मिनटों में आपके पैसे गायब कर देंगे। जैसे ही एक बार पैसे ट्रांसफर हुए, अपराधी गायब हो जाते हैं, जिससे आपको पैसे के साथ-साथ मानसिक पीड़ा भी झेलनी पड़ सकती है।

भारत सरकार डिजिटल अरेस्ट मामले में क्या कर रही है

गृह मंत्रालय का भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ऐसे मामलों को रोकने के लिए सख्त कदम उठा रहा है। माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से 1,000 से अधिक स्काइप आईडी ब्लॉक की जा चुकी हैं, और नागरिकों को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया पर अलर्ट भी जारी किए जा रहे हैं।

इसके साथ ही मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देशवासियों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर हो रही धोखाधड़ी के प्रति जागरूक किया। सुरक्षित तरीके से इन्टरनेट का इस्तेमाल करने हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जनता को इस घोटाले से सावधान रहने की सलाह दी है और साइबर हेल्पलाइन पर इस तरह की घटनाओं की रिपोर्ट करने का आग्रह किया है।

कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम ऑफ इंडिया (CERT-In) ने भी इस घोटाले के बारे में आगाह किया है और बताया है कि कैसे ये साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए कई तरह की तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने X प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में कहा, मोदी सरकार ‘साइबर सिक्योर भारत’ के निर्माण के प्रति संकल्पित है। 

डिजिटल अरेस्ट घोटाले से कैसे बचें?

इस घोटाले से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है जागरूक रहना। यहां कुछ टिप्स दिए गए हैं, जो आपको डिजिटल अरेस्ट स्कैम से बचाने में मदद करेंगे:

  1. संदिग्ध कॉल से सावधान रहें: ऐसे फर्जी पुलिसों अथवा अधिकारियों की कॉल को तुरंत काट दें, जो आपसे यह दावा करते हैं कि आप किसी परेशानी में हैं। भारत में किसी भी विभाग के अधिकारी कभी भी आपसे आपके आपकी UPI अथवा बैंकिंग जानकारी नहीं मांगते हैं।
  2. अपराधियों की “जल्दबाज़ी” में न फंसें: साइबर अपराधी अक्सर “तत्काल कार्रवाई” का दबाव डालने के लिए “जल्दबाज़ी” का माहौल बनाते हैं। शांत रहें और जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें।
  3. पहचान सत्यापित करें: अगर कॉल के बारे में कोई संदेह है, तो संबंधित एजेंसी से अथवा 112 पर सीधे संपर्क करके अपनी परेशानी पुलिस प्रशासन से बताएं एवं उनकी पहचान सत्यापित करें।
  4. व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें: फोन या वीडियो कॉल के माध्यम से अनजान नंबरों पर संवेदनशील व्यक्तिगत या अपनी बैंकिंग जानकारी कभी भी साझा न करें।
  5. आधिकारिक संचार माध्यम: सरकारी विभाग के लोग आपसे बात करने के लिए कभी भी व्हाट्सएप या स्काइप जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं करते हैं और न ही वो आपसे विडियो कॉल पर बात करते हैं।
  6. साइबर क्राइम रिपोर्टिंग: अगर आपको लगता है कि आपको ठगा जा रहा है, तो तुरंत स्थानीय पुलिस 122 या साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 को घटना की रिपोर्ट करें।
  7. फिशिंग से बचें: साइबर अपराधी के द्वारा दिए गए किसी भी लिंक पर क्लिक न करें। इन लिंक्स के माध्यम से वे आपके बैंकिंग जानकारियों को चुरा सकते हैं।

CERT-In ने भी आम जनता को “सजग और जागरूक” रहने की सलाह दी है ताकि इस उभरते हुए साइबर खतरे से खुद को सुरक्षित रखा जा सके।

अगर आप डिजिटल अरेस्ट स्कैम का शिकार हो गए हैं तो क्या करें?

अगर दुर्भाग्य से आप इस घोटाले का शिकार हो गए हैं, तो नीचे दिए गए कदम उठाएं:

  1. बैंक को तुरंत सूचित करें और अपने खाते को फ्रीज करवा दें।
  2. नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर शिकायत दर्ज करें।
  3. जो भी सबूत आपके पास हैं, जैसे कॉल डिटेल्स, ट्रांजेक्शन डिटेल्स, संदेश आदि, उन्हें संभाल कर रखें।
  4. यदि जरूरत हो तो किसी वकील की सहायता लें।

डिजिटल अरेस्ट स्कैम से बचाव के लिए सबसे जरूरी है कि हम सतर्क रहें, किसी भी अज्ञात स्रोत से आने वाली कॉल पर सावधानी बरतें, और आधिकारिक स्रोतों से जानकारी की पुष्टि करें।

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